तृष्णा ना गयी मेरे मन की हिंदी भजन लिरिक्स

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तृष्णा ना गयी मेरे मन की
माया ने हर जीव लुभाया

हर बारी भई मन
तृष्णा ना गयी मेरे मन की

कनक समान है जीवन तेरा
न्योचछवर चरनो में
रघुवर के न्योचछवर चरनो में

प्रभु नाम की लूट मची है
करले कही गुरु मन की
तृष्णा ना गयी मेरे मन की

पाछे जानम लिए जब मानस की
माया धारण पाया

स्वयं को माया धारण पाया
जीवन पथ के अंत में आके
भोगानी है तन मन की

तृष्णा ना गयी मेरे मन की
माया ने हर जीव लुभाया

हर बारी भई मन
तृष्णा ना गयी मेरे मन की

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