दास रघुनाथ का
नन्द सूत का सखा
कुछ इधर भी रहा
कुछ उधर भी रहा
सुख मिला श्री अवध
और ब्रज वास का
कुछ इधर भी रहा
कुछ उधर भी रहा
दास रघुनाथ का
नन्द सूत का सखा
कुछ इधर भी रहा
कुछ उधर भी रहा
मैथली ने कभी
मोद मोदक दिया
राधिका ने कभी
गोद में ले लिया
मात्रा सत्कार में
मगन होकर सदा
कुच्छ इधर भी रहा
कुच्छ उधर भी रहा
दास रघुनाथ का
नन्द सूत का सखा
कुछ इधर भी रहा
कुछ उधर भी रहा
खूब ली है प्रसदी
अवध राज की
खूब झूठन मिली
यार ब्रज की
भोग मोहन चखा
दूध माखन चखा
कुछ इधर भी रहा
कुछ उधर भी रहा
दास रघुनाथ का
नन्द सूत का सखा
कुछ इधर भी रहा
कुछ उधर भी रहा
यूयेसेस तरफ द्वार
दरबान हो राधिका
इश्स तरफ दोस्त हू
दान सिर का दिखा
घर रखता हुआ
जर लूटता हुआ
कुछ इधर भी रहा
कुछ उधर भी रहा
दास रघुनाथ का
नन्द सूत का सखा
कुछ इधर भी रहा
कुछ उधर भी रहा