ये माँ अंजनी का लाला, है देव बड़ा बल वाला
और ना कोई कर पाया जो, वो इसने कर डाला
बालापन में सुरज को जब समझ के फल था मुख में लिया
बदल दिया
बदल दिया था नियम सृष्टि का दिन में भी था अँधेरा किया
विनती करी मिल देवों ने तब था उसे मुख से निकाला रे
ये माँ अंजनी का लाला…
माँ सीता की खोज में इसने उड़ के समंदर पार किया
सारी उजाड़ी
सारी उजाड़ी अशोक वाटिका अक्षय कुमार को मार दिया
जला दिया लंका नगरी को तहस नहस कर डाला रे
ये माँ अंजनी का लाला…
मूर्छित हो गए लखन लाल तब अपना फ़र्ज़ निभाया था
रात्रि में ही
रात्रि में ही वेद सुषेण को लंका से ले आया था
औषधि जो थी समझ न आई तो पर्वत ही ले आया
ये माँ अंजनी का लाला…
बड़े बड़े बलशाली बजरंग द्वार पर शीश झुकाते हैं
सारे पापी
सारे पापी और अधर्मी तुझसे ही घबराते हैं
ऋषि मुनि और ज्ञानी राजू जपे है इसकी माला
ये माँ अंजनी का लाला…