तर्ज- दिल में तुम्हे बिठा के
पहले तुम्हे मनाये, चरणों में सर झुकाये,
गिरिजा के लाल आओ, बिगड़ी मेरी बनाओ।।
हार चढ़ाऊँ देवा, फूल चढ़ाऊँ,
और चढ़ाऊँ मेवा, लड्डुवन का तोहे,
भोग लगाऊँ, संत करे तेरी सेवा।
पहले तुम्हें मनाये, चरणों में सर झुकाये,
गिरिजा के लाल आओ, बिगड़ी मेरी बनाओ।।
माता तुम्हारी देवा, पार्वती कहिये,
पिता है शंकर देवा,
रिद्धि सिद्धि संग में आओ, आओ गजानन आओ।
पहले तुम्हें मनाये, चरणों में सर झुकाये,
गिरिजा के लाल आओ, बिगड़ी मेरी बनाओ।।
हर बुधवार देवा, पूजा तुम्हारी,
नित हम ध्यान लगाए, प्रथम तुम्हारा,
ध्यान करे हम, बिगड़े काज सवारों।
पहले तुम्हे मनाये, चरणों में सर झुकाये,
गिरिजा के लाल आओ, बिगड़ी मेरी बनाओ।।