ॐ नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊं गली-गली।
ले लो रे कोई औं का प्यारा, आवाज लगाऊँ गली-गली॥
माया के दीवानों सुन लो, इक दिन ऐसा आएगा।
धन-दौलत और रूप खजाना, धरा यहीं रह जाएगा।
सुंदर काया माटी होगी, चर्चा होगी गली-गली॥1॥
मित्र प्यारे सगे सम्बन्धी, इक दिन तुझे भुलायेंगे।
कल तक जो कहते थे अपना, अग्नि में तुझे जलायेंगे॥
दो दिन का यह चमन खिला है, फिर मुरझाये कली-कली॥2॥
क्यों करता है मेरा-मरी तज दे इस अभिमान को।
छोड़ जगत के झूठे धंधे, जप ले प्रभु के नाम को॥
गया समय फिर हाथ न आये, तब पछताये घड़ी-घड़ी॥3॥
जिसको अपना कह-कह करके, मूरख तू इतराता है।
छोड़ दे बंदे विपद, साथ नही कोई जाता है।
दो दिन का यह रैन बसैरा आखिर होगी चलो-चली॥4॥