मुझे राधे राधे कहना सिखादे
कन्हिया तेरा क्या बिगडे
वृंदावन जाऊ तेरे गुण गाऊ
चरनो की धुली को माथे से लगाऊ
मेरी वृन्दावन कोठी बना दे
कन्हिया तेरा क्या बिगडे
यमुना तट जाऊ वहा नही पाऊ
बंसीवट जाऊ वहा नही पाऊ
अपने मिलने का ठिकाना बता दे
कन्हिया तेरा क्या बिगडे
अपनी शरण में ले ले मोहन
अपने ही रंग में रंग ले मोहन
अपनी गाऊओ का ग्वाला बना ले
कन्हिया तेरा क्या बिगडे
मन मन्दिर में ज्योत जगाऊ
आठो पहर तेरे नाम को सिमरु
अपने नाम का दीवाना बना दे
कन्हिया तेरा क्या बिगडे
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