माँ तेरी तस्वीर सिरहाने रखकर सोते हैं,
यही सोच कर अपने दोनों नैन भिगोते हैं ।
कभी तो तस्वीर से निकलोगी कभी तो मेरी मईया पिघलोगी ।
जाने कब आ जाए मईया आँगन रोज बुहारे
मेरे इस छोटे से घर का कोना कोना सँवारे ।
विश्वास है मईया आएगी मुझे आस है मईया आएगी ।
जिस दिन माँ नहीं आती हम जी भर कर रोते हैं
यही सोच कर अपने दोनों नैन भिगोते हैं ।
कभी तो तस्वीर से निकलोगी कभी तो मेरी मईया पिघलोगी ।
अपनापन हो अँखियों में होठों पे मुस्कान हो
ऐसे मिलना जैसे की माँ जन्मों की पहचान हो ।
इकबार तू कहदे ओ मईया मुझे लाल तू कहदे ओ मईया
इसके खातिर अँखियाँ मसल मसल कर रोते हैं
यही सोच कर अपने दोनों नैन भिगोते हैं ।
कभी तो तस्वीर से निकलोगी कभी तो मेरी मईया पिघलोगी ।
इक दिन ऐसी नींद खुले जब माँ का दीदार हो
बनवारी फिर हो जाए ये अँखियाँ बेकार हो
पूछे मेरा आँगन ओ मईया कब होगा दर्शन ओ मईया
बस इस दिन के खातिर हम तो दिन भर रोते हैं
यही सोच कर अपने दोनों नैन भिगोते हैं ।
कभी तो तस्वीर से निकलोगी कभी तो मेरी मईया पिघलोगी ।