भक्तों के घर भी सांवरे, आते रहा करो,
दर्शन को नैना बांवरे, दर्शन दिया करो,
सूरत सलौनी आपकी, आँखों में बस गई,
ऐसी झलक मिली हमें, दीवाना कर गई,
बढ़ती रहे दीवानगी, ऐसी कृपा करो,
भक्तों के घर……….
कहते हैं प्रेम से प्रभु, छिलके भी खा गये,
चावल सुदामा व्रिप के, गिरिधर को भा गये,
भीलनी के झूठे बेर भी, खाते रहा करो,
भक्तों के घर……….
कुछ न घटेगा आपका, आकर तो देखिये,
पलकें बिछाई राह में, मोहन तेरे लिये,
खाली पड़ा है दिल मेरा, इसमें रहा करो,
भक्तों के घर……….
भक्तों की शान आप हो, भक्तों का मान हो,
भक्तों की जिंदगी तुम्हीं, तन मन हो प्राण हो,
तेरे ही नाम की हमें, मस्ती दिया करो,
भक्तों के घर……….
माना तुम्हारे चाहने, वाले अनेक हैं,
उन पागलों की भीड़ में, ‘दर्शी’ भी एक है,
तेरी दया का पात्र हूं, मुझ पर दया करो,
भक्तों के घर……….