त्रिपुरारी वृषभ की सवारी जटा से श्री गंगा बेहती
जटा से श्री गंगा बेहती जटा से श्री गंगा बेहती
त्रिपुरारी वृषभ की सवारी जटा से श्री गंगा बेहती
जटा से श्री गंगा बेहती जटा से श्री गंगा बेहती
जिसने सागर का सारा विष पी लिया
बन के किरात अर्जुन को वर दे दिया
भागम धारी वैकुण्ठ के पुजारी
जटा से श्री गंगा बेहती
नृत्य तांडव करते है नटराज शिव
रूद्र बन कर करते है संहार शिव
करते है पूजा शिव के जैसा न दूजा
जटा से श्री गंगा बेहती
त्रिपुरारी वृषभ की सवारी जटा से श्री गंगा बेहती
जटा से श्री गंगा बेहती जटा से श्री गंगा बेहती
रहते पर्वत पे बिना घर द्वार के
मिले लोहित दिगंबर निराकार ये
त्रिपुरारी विश्वेश्वर जटा धारी
जटा से श्री गंगा बेहती
त्रिपुरारी वृषभ की सवारी जटा से श्री गंगा बेहती
जटा से श्री गंगा बेहती जटा से श्री गंगा बेहती