थोड़ी सी और पिला दे
पीते पीते मैं पागल हुआ
भजन गायक – बाबा चित्र विचित्र जी महाराज
थोड़ी सी और पिला दे
पीते पीते मैं पागल हुआ
बूटी हरी के नाम की
सबको पीला के पी
पीने की है तमन्ना तो
खुद को भुला के पी
ब्रह्मा ने चारो वेद
की पुस्तक बना के पी
शंकर ने अपने शीश पे
गंगा धरा के पी
बाली ने चोट बाण की
सीने पे खाके पी
बजरंग बलि ने रावण की
लंका जला के पी
ब्रज गोपियों ने कृष्णा को
माखन खिला के पी
मेरा ने नाच नाच के
गिरधर रिझाके पी
थोड़ी सी और पिला दे
पीते पीते मैं पागल हुआ