शाम ढली पर श्याम न आये
मुरली वाले क्यों तरसाये
शाम ढली और श्याम न आये
मुरली वाले क्यों तरसाये
सुन्दर सलोना मुखड़ा कब तू मुझे दिख लाएगा
इतना बता दे निर्मोही कब तक मुझे बहलाएगा
अभी और काली राते दिल भरमाये
शाम ढली और श्याम न आये
प्रीत तुम्हारी झूठी झूठा तुम्हारा रूप जोड़ना
सीखा है तुमने किससे प्रेमी दिलो को ताड़ना
तेरे बिन सावरिया कुछ ना सुहाए
शाम ढली और श्याम न आये
यमुना के तात पैर बैठी
नैना लगे है तेरी राह में
सबकुछ भुलाया मैंने
प्यारे तुम्हारे एक चाह में
नंदू ये दिल मनमोहन
धीर ना आये
शाम ढली और श्याम न आये