समझ के सूरज को फल जिसने पल में ग्रास बनाया
धर विकराल रूप इक पल में खाख में लंका को मिलाया
मात अंजना का जो लाडला पूत पवन कहलाया
जिस की ताकत की नहीं उपमा पर्वत जिस ने उठाया
लाये सजीवन लक्ष्मण जी को जिस ने जीवन नया दिलाया
समझ के सूरज को फल जिसने पल में ग्रास बनाया
मन का मनका माला करदी हरी दर्श नहीं पाया
मात सिया की शंका मिटा दी चीर के सीना दिखया
राम भक्त न होगा तुम सा ऐसा वर तुम ने है पाया हनुमत पाया
समझ के सूरज को फल जिसने पल में ग्रास बनाया