पट खोल पुजारन आयी है
तेरा दर्शन पाने आई है
पट खोल पुजारन आयी है
तेरा दर्शन पाने आई है
छुप क्यों दासी के मीत गये
तेरे दवार पड़े युग बीत गए
इस मोन मान का कारन क्या
मन माहि नही पुजारन क्या
अगर नजर में तेरी मेरे अवगुण है
पहले क्यों यह न बताया था
ये प्रीत की रीत ना नीब सकती
पहले यह क्यों न बताया था
पट खोल पुजारन आई है
तेरा दर्शन पाने आई है
दरस दो गिरधारी बनवारी
दरस दो गिरधारी बनवारी