मेरा मन माँ कहे मेरा तन माँ कहे
कण कण में तू साकार है माँ
तेरी महिमा तो अप्रम पार है माँ
मेरा मन माँ कहे मेरा तन माँ कहे
तू चंदा में किरणों में माँ
तू पर्वत में झरनो में माँ
तेरा कुदरत में अधिकार है माँ
कण कण में तू साकार है
तेरी महिमा तो अप्रम पार है माँ
तू मेगो की घन घन में माँ
तू बरखा की रुत झुँ में माँ
तू बुंदू की झंकार है माँ
कण कण में तू साकार है
तेरी महिमा तो अप्रम पार है माँ
तू कोयल की कु कु में
तू पपीहे की पीहू में माँ
तू चिडियो की चहकार है माँ
कण कण में तू साकार है
तेरी महिमा तो अप्रम पार है माँ
तू सुबह है तू शाम है माँ
हर जर रा तेरे गुलाम है माँ
शृष्टि का आधार है माँ
कण कण में तू साकार है
तेरी महिमा तो अप्रम पार है माँ