कुछ लेना ना देना मगन रहना |
पांच तत्व का बना है पिंजरा,
भीतर बोल रही मैना |
तेरा पिया तेरे घाट मै बसत है,
देखो री सखी खोल नैना |
गहरी नदिया नाव पुरानी,
केवटिया से मिल रहना |
कहत कबीर सुनो भई साधो,
प्रभु के चरण लिपट रहना |