कान्हा रे सुन विनती मेरी एक झलक दिखला दे
मेरे तपते अंतर में तेरी प्रीत की नीर बहा दे
एक झलक दिखला दे
चारों तरफ फ़ैल रही है
इनके प्यार की खुशबू थोड़ी-थोड़ी
कितनी प्यारी लग रही है
साँवरे-गोरी की यह जोड़ी
सूर बनके गाउँ मैं या मीरा बन कर नाचूँ
गोपी बनकर पाऊँ मैं या उधौ बन खत बाँचू
किस विधि होंगे दर्शन तेरे गिरह ये सुलझा दे
एक झलक दिखला दे
कान्हा रे सुन विनती मेरी एक झलक दिखला दे
गैया बनके साथ चलूँ या यमुना बन पग वारूँ
सुदामा बनके हाथ गहूँ या राधा बन सब हारूँ
कौन रूप जो तोहे रिझाये मुझको ये बतला दे
एक झलक दिखला दे
एक झलक दिखला दे
कान्हा रे सुन विनती मेरी एक झलक दिखला दे
मेरे तपते अंतर में तेरी प्रीत की नीर बहा दे
एक झलक दिखला दे