कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
बादमे अमृत पिलाने से क्या फायदा
कभी गिरते हुवे को उथाया नहीं
बादमे आसू बहाने से क्या फायदा .
[में तो मंदिर गयी ,पूजा -आरती की
पूजा करते हुवे ये खयाल आ गया ]..(२)
कभी माँ -बाप की सेवा की ही नहीं
सिर्फ पूजा के करने से क्या फायदा ;
कभी प्यासे …………फायदा .
[में तोह सत्संग गयी , गुरुवाणी सुनी ,
गुरु वाणी को सुनकर खयाल आ गया ]..(२)
जन्म मानव का लेके दया ना करी
फिर मानव कहलाने से क्या फायदा ;
कभी प्यासे ………….फायदा .
[मैंने दान दिया , मैंने जप -ताप किया
दान करते हुवे ये ख़याल आ गया ]…(२)
कभी भूके को भोजन खिलाया नहीं
दान लाखो का करके क्या फायदा ;
कभी प्यासे …………फायदा .
[गंगा नहाने हरिध्वर-काशी गयी
गंगा नहाने ही मन में खयाल आ गया ]…(२)
तन को धोया मगर मन को धोया नहीं
फिर गंगा नहाने से क्या फायदा ;
कभी प्यासे …………फायदा .
[मैंने वेद पढ़े ,मैंने शाश्त्र पढ़े
शाश्त्र पढ़ते हुए ये ख़याल आ गया ]…(२)
मैंने ज्ञान किसीको बाटा नहीं
फिर ग्यानी कहलाने से क्या फायदा ;
कभी प्यासे …………फायदा .
[माँ -पिता के चरणों में चारो धाम है
आजा -आजा यही मुक्ति का धाम है ]…(२)
पिता -माता की सेवा की ही नहीं
फिर तीर्थो में जाने से क्या फायदा ;
कभी प्यासे …………फायदा .
कभी गिरते हुवे को उठाया नहीं
[बादमे आसू बहाने से क्या फायदा ]…(३)