सुने घर के कोने
सुने सुने खिलोने
कब से खड़ी तेरे
द्वार पे बाला जी बलिशली
भर दे खली झोली ….2
सुने घर के कोने …
एक ही सपना मैं
हर रोज सजती हूँ
इतने वर्षों से मैं
लोरिया गाती हूँ …2
फिर भी है कब से है
सुनी पलने की ye डोरी
भर दे खली झोली ….2
सुने घर के कोने
सुने सुने खिलोने
कब से कड़ी तेरे
द्वार पे बाला जी बलिशली
भर दे खली झोली ….2
सुने घर के कोने …
जबजब रंगों का त्यौहार
ही आता है
एक सवाल ही बार बार hi
मंडराता है
पिचकारी लेके कौन मुझसे
खेलेगा होली …2
सुने घर के कोने
सुने सुने खिलोने
कब से खड़ी तेरे
द्वार पे बाला जी बलिशली
भर दे खली झोली ….2
सुने घर के कोने …
ओह उऊद ……..
पतझड़ में भी डाली पे
फूल खिलता है
बाबा तेरे दरबार में
उत्तर मिलता है
कब से तड़प है कब
सुन पाए तितली बोली
भर दे खली झोली
सुने घर के कोने
सुने सुने खिलोने
कब से खड़ी तेरे
द्वार पे बाला जी बलिशली
भर दे खली झोली ….2
सुने घर के कोने …
ताने सुनके लोग के
थक जाते है
तो जाने क्यों हैं
मेरे भर आते है
किस्मत यु कब तक खेलती
रहे आँख मिचौली
सुने घर के कोने
सुने सुने खिलोने
कब से खड़ी तेरे
द्वार पे बाला जी बलिशली
भर दे खली झोली ….2
सुने घर के कोने …
सुने घर के कोने
सुने सुने खिलोने
कब से खड़ी तेरे
द्वार पे बाला जी बलिशली
भर दे खली झोली ….2