जिनको अपनी मम्मी से प्यार है भजन लिरिक्स

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जिनको अपनी मम्मी से प्यार है
उनके लिए ही श्याम दरबार है

मुझको घर पे तुम बुलाते हो
माँ को ब्रिद आश्रम में छोड़ कर आते हो
मुझको तो फूल तुम चड़ते हो
माँ को तुम कितना ही रुलाते हो
इसे बेटे पे तो दीकार है
जिनको अपनी मम्मी

मुझको तो शपन भोग खिलते हो
माँ को एक रोटी न खिलते हो
मुझको तो भगा तुम पहनते हो
माँ को एक साड़ी न पहनते हो
घर पे तो ऐसा बेटा काल है
जिनको अपनी मम्मी

मेरो दरबार तुम सजाते हो
माँ को एक कमरा न दिलाते हो
मेरे चरणों में शीश जुकते हो
माँ के चरणों को तुम ठुकराते हो
जिनको अपनी मम्मी

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