हर बार तेरे दर पे हम गीत सुनाएंगे
ढांढन वाली सुन ले तेरी महिमा जाएंगे
हर बार तेरे दर पे हम गीत सुनाएंगे
तुझसे मिलने से हमे रोको गी भला कैसे
कदमो में लिप्त जाए वृक्षों से लटा
जैसे सपनो में मिली माँ को हम सामने पायेगे
हर बार तेरे दर पे हर गीत सुनाएंगे
होगी तृष्णा पूरी प्यासी इन अखियां की
माथे से लगा लेंगे धूलि तेरे चरनन की
चरणमित लेकर माँ हम भक्त रिजाएगे
हर बार तेरे दर पे हर गीत सुनाएंगे
सदियों से सदा हमने तेरी आस लगाई है
पगल मनवा कहता माँ तुमको भुलाई है
पा कर के तेरे दर्शन मन को समजाएगे
हर बार तेरे दर पे हर गीत सुनाएंगे
चुन कर वन उपवन से पुष्पों की मधुर लड़ियाँ
इक हार बनाया है बीते पाई है घड़ियाँ
यह पुष्प भजन माला तुझे भेट चढ़ाये गे
हर बार तेरे दर पे हर गीत सुनाएंगे