*** << दोहा >>***
श्री गुरु चरन सरोज रज , निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु , जो दायकु फल चारि ।।
बुद्धिहीन तनु जानिके , सुमिरों पवन -कुमार ।
बल बुधि विद्या देहु मोहिं , हरहु कलेस बिकार ।।
***<< चौपाई >>***
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर । ।
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनी पुत्र पवन सुत नामा । ।
महावीर विक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी । ।
कंचन बरन बिराज सुवेसा । कानन कुंडल कुंचित केसा । ।
हाथ वज्र और ध्वजा विराजे । काँधे मूँज जनेऊ साजै । ।
संकर सुवन केसरी नंदन । तेज प्रताप महा जग बन्दन । ।
विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर । ।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिआ । राम लखन सीता मन बसिया । ।
सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा । विकट रूप धरी लंक जरावा । ।
भीम रूप धरी असुर संहारे । रामचन्द्र के काज संवारे । ।
लाय संजीवन लखन जियाये । श्री रघुवीर हरषि उर लाये । ।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई । ।
सहस्र बदन तुमरो जस गावे । असकहि श्रीपति कंठ लगावै । ।
सनकादिक ब्रह्मादी मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा । ।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कबि कोबिद कही सके कहाँ ते । ।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राज पद दीन्हा । ।
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना । लंकेस्वर भए सब जग जाना । ।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानु । ।
प्रभुमुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लाँघ गए अचरज नाही । ।
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते । ।
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे । ।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना । ।
आपन तेज सम्हारो आपै । तीनो लोक हांक ते काँपें । ।
भूत पिशाच निकट नहीं आवैं । महावीर जब नाम सुनावै । ।
नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा । ।
संकट तें हनुमान छुड़ावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै । ।
सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा । ।
और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै । ।
चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा । ।
साधु संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे । ।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता । ।
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा । ।
तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुःख बिसरावै । ।
अंत काल रघुबर पुर जाई । जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई । ।
और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेई सर्व सुख करई । ।
संकट कटै मिटे सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा । ।
जै जै जै हनुमान गोसाई । कृपा करहु गुरु देव की नाईं । ।
जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई । ।
जो य ह पढ़े हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा । ।
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ ह्रदय में डेरा । ।
***<< दोहा >>***
पवन तनय संकट हरन , मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित , हृदय बसहु सुर भूप ।।
******<<<<�सियावर राम चन्द्र की जय >>>>*****