हंस हंस के सुलझ जाती है सब उलझन कभी कभी हिन्दी भजन लिरिक्स

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हंस हंस के सुलझ जाती है
सब उलझन कभी कभी

हंस हंस के सुलझ जाती है
सारी उलझन कभी कभी

मिलता है बड़े भाग्या
से नर तन कभी कभी

जब तक है ज़िंदगी
सभी को तू हंसा के जी

हंस हंस के सुलझ जाती है
सारी उलझन कभी कभी

मिलता है बड़े भाग्या
से नर तन कभी कभी

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