कृष्णा मेरे …
भक्त तेरे गोवर्धन धाम जो भी आये
कर परिक्रमा वो तो एक दिन
भाव से भी तार जाये ….
वो तार जाये ….
तूने बिगड़ी सबकी बनायीं …२
कन्हैया तेरा क्या कहना
गिरिराज ऊँगली पे उठायी …२
गिरधारी तेरा क्या कहना …
तूने बिगड़ी सबकी बनायीं …२
कन्हैया तेरा क्या कहना
गिरिराज ऊँगली पे उठायी …२
गिरधारी तेरा क्या कहना …
तू बिगड़ी सबकी बनायीं
कन्हैया तेरा क्या कहना …२
भक्तों से बोले कृष्णा
गिरिराज की पूजा करना
ये जान इंद्रा गुस्साए
हो क्रोधित वो थर्राये
चाल उनकी समझ तेरे आयी …२
कन्हैया तेरा क्या कहना
गिरिराज ऊँगली पे उठायी …२
गिरधारी तेरा क्या कहना …
जब इंद्रा ने भीषड़ वर्षा
ब्रज में करवाई …
घबराया हर एक प्राणी
जान पे बन आयी
तूने चिंता सबकी मिटाई ….२
कन्हैया तेरा क्या कहना
गिरिराज ऊँगली पे उठायी …२
गिरधारी तेरा क्या कहना …
हे श्री कृष्णा ..
हूँ …श्री कृष्णा
पर्वत उठा के झट से
प्राण बचाये सबके
तब मान इंद्रा का टूटा
की था अभिमान वो झूठ
तेरी महिमा सबने गायी
कन्हैया तेरा कयता कहना
गिरिराज ऊँगली पे उठायी …२
गिरधारी तेरा क्या कहना …
गिरिराज ऊँगली पे उठायी …२
गिरधारी तेरा क्या कहना …