गणपति गोरी जी के नंदन गणेश जी,
मैं शरण तुम्हारी आया हूँ , मेरी रक्षा करो हमेश जी ।
सबसे पहले तुम्हे धयाऊँ , फिर देवों के दर्शन पाऊं ।
गज बदन मूसे की सवारी, गजब तुम्हारा भेस जी ॥
तुम हो रिद्धि-सिद्धि के दाता, तुम बिन ज्ञान कोई न पाता ।
हे गजानन विश्व विधाता, मन में करो प्रवेश जी ॥
“अपरे वाला” बड़ा अज्ञानी , कैसे गाये तेरी बानी ।
“राजू” पर भी किरपा करके, काटो सकल क्लेश जी ॥