उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है | जो सोवत है सो खोवत है, जो जगत है सोई पावत है || टुक नींद से अखियाँ खोल जरा, और अपने प्रभु में ध्यान लगा | यह प्रीत कारन की रीत नहीं, रब जागत है तू सोवत है || जो कल करना सो […]
Satsangi Bhajans
मन में खोट भरी और मुख में हरी || Man Mein Khot Bhari Satsangi Bhajan
मन में खोट भरी और मुख में हरी, फिर मंदिर में जाने से क्या फ़ायदा । मैल मन का धोया, बदन धो लिया, फिर गंगा नहाने से क्या फ़ायदा ॥ मन में मूरत प्रभु की उतारी नहीं, है सब से बड़ा तो भिखारी वोही । धन दौलत पे तू क्यूँ गुमान करे जब संग ही […]
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं || Kabhi Pyase Ko Paani Pilaya Nahin Satsangi Bhajan
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं बादमे अमृत पिलाने से क्या फायदा कभी गिरते हुवे को उथाया नहीं बादमे आसू बहाने से क्या फायदा . [में तो मंदिर गयी ,पूजा -आरती की पूजा करते हुवे ये खयाल आ गया ]..(२) कभी माँ -बाप की सेवा की ही नहीं सिर्फ पूजा के करने से क्या फायदा […]
ज़िन्दगी घर किराए का है Zindagi Ghar Kiraye Ka Hai Satsangi Bhajan Full Hindi Lyrics
ज़िन्दगी घर किराये का है एक न एक दिन बदलना पड़ेगा मौत जब तुझको आवाज़ देगी घर से बाहर निकलना पड़ेगा ज़िन्दगी घर किराये का है एक न एक दिन बदलना पड़ेगा ढेर मिटटी का हर आदमी है बाद मारने के होना यही है कर भला हो कर भला हो…2 ज़िन्दगी घर किराये का है […]
चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है Chadta Sooraj Dheere Dheere Dhalta Hai Satsangi Bhajan
हुए नामवर … बेनिशां कैसे कैसे … ज़मीं खा गयी … नौजवान कैसे कैसे … आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा..३ चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा..२ ढल जायेगा ढल जायेगा..२ तू यहाँ मुसाफ़िर है ये सराये फ़ानी है चार रोज की मेहमां तेरी ज़िन्दगानी है ज़र ज़मीं ज़र ज़ेवर कुछ ना साथ […]