भजन बिना हरी से मिलन न होये
भयो दिन चल मंदिर कहे सोये
#Singer – Anup Jalota
भजन बिना हरी से मिलन न होये
भयो दिन चल मंदिर कहे सोये
राम सिया राम जय जय राम
राम सिया राम जय जय राम
ओ पगले पापो की गठरियाँ काहे मन पे धोये
हरी सुमिरन की गंगा में क्यों मेल न मन का धोये
चल मंदिर कहे सोये
देख देख हाथो की लकीरे
क्यों कर मन को रोये
खुद अपनी राहो में तूने पेड़ बबुल के बोये
चल मंदिर कहे सोये
क्यों अपनी तृष्णा में उलझ के भजन के मोती खोये
झूठे सपने तू पलकन की डोर में काहे पिरोये
चल मंदिर कहे सोये
भजन बिना तेरी मुश्किल में काम न कोई
इक दिन पगले ले डुभे गी तेरी मैं मैं तोहे
चल मंदिर कहे सोये