अब दया करो, बजरंगबली,
मेरे कष्ट हरो बजरंगबली ।
मैं निर्बल शरण तिहारी हूँ,
कुछ ध्यान धरो बजरंगबली, बजरंगबली॥
अब दया करो…
तुम काज संवारा करते हो,
दुखियों के दुखड़े हरते हो ।
माता अंजनी के जाए हो,
सिया राम के मन में समाये हो ।
सालासर घणी कहाते हो, संकट में दौड़े आते हो ।
अब दया करो…
सूरज को निगल गए समझ के फल,
सोने की लंका दी राख में बदल ।
जब प्राण लखन के थे संकट मे,
संजीवन लाये झटपट में ।
दुष्टों का सदा संघार किया,
भक्तो का बेडा पार किया ।
अब दया करो…
हम दुःख विपदा के मारे है,
इस जूठे जगत से हारे हैं ।
उलझन ही उलझन पग पग पर,
रास्ता अब कोई आये न नज़र ।
है ‘कमल सरन’ कमजोर पड़ा,
‘लक्खा’ ले फरियाद है दर पे खड़ा ॥
अब दया करो…